Saturday, November 17, 2012

दीपों का पर्व दीपावली




आज बहुत दिनों बाद आप सबसे मिल रही हूँ न ?... और इसीलिए मेरे पास बहुत ढेर सारी बातें हैं आप सबके साथ शेयर करने के लिए क्योंकि मैं  पिछले पूरे एक महीने बहुत-बहुत व्यस्त थी... दशहरा, दीवाली, भाई-दूज जैसे त्यौहार तो थे ही इसी बीच मेरा जन्मदिन और मेरे स्कूल में Foundation Day Celebration भी था... आपको मैं उन सब के बारे में बताना चाहती हूँ... अभी मेरी छुट्टियाँ चल रही हैं इसलिए मैं आपके साथ अपनी सारी बातें आराम से शेयर कर सकती हूँ तो आज सबसे पहले रोशनी के पर्व दीपावली की बातें करते हैं... मैं आप सबको पहले बधाई नहीं दे पाई इसलिए आज दे देती हूँ...

दुआ है दीपों के पर्व दीपावली की जगमगाहट पूरे वर्ष आपके जीवन को आशाओं और खुशियों की रोशनी से आलोकित करती रहे....  

खुशियों और रोशनी के इस महापर्व को मैंने भी बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया... इस दिन मेरा सबसे प्रिय काम है रंगोली बनाना... खूब सारे रंगों से फर्श पर सुन्दर रंगोली बनाकर उन्हें दीयों से सजाकर मैं खुद ही बहुत खुश होती रहती हूँ... जब मैं क्लास 2 में थी तब से मैं खुद ही रंगोली बनाती हूँ... तो सबसे पहले मैं आपको दिखाती हूँ पहली बार अपने हाथों से बनायी रंगोली...

ये रंगोली मैंने 2009 की दीवाली में बनायीं थी जब मैं क्लास 2 में थी.....







ये बड़ी सी रंगोली मैंने मुख्य द्वार पर बनायीं थी




और ये पूजा वाले स्थान पर बनी छोटी रंगोली







भाई उस समय साढ़े चार साल का था पर उसने बिलकुल भी परेशान नहीं किया बल्कि उसने रंगोली बनाने में मेरी मदद भी की







मैं और मेरी रंगोली







ये दीये भी मैंने पेंट किये थे, तन्नू दीदी की मदद से







अब भाई भला कैसे पीछे रहता.... देखिये उसने भी ढेर सारे दीये पेंट कर डाले थे और वो भी बिना किसी की मदद के ... :)











दीवाली पर खुद कुछ कर पाने की ख़ुशी और आत्मविश्वास से भरी मैं





भाई लगता है फुलझरी से गुस्सा है... :)


मैं तो बहुत ही डरपोक थी बस किसी तरह फुलझरी जला लेती थी और वो भी पूरी ख़तम होने से पहले ही फेक देती... डरती थी कहीं हाथ न जल जाय... :)









फुलझरी की चक्करदार रोशनी








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और अब आपको दिखाती हूँ 2010 की दीवाली में बनायीं रंगोली... उस समय मैं क्लास 3 में थी और उस बार की दीवाली मैंने नानी के घर यानि बनारस में मनायी थी....








बस फिनिशिंग टच देना बाकी है 






और दीयों के साथ सज-धज कर रंगोली तैयार






और ये दूसरी रंगोली... ये भी मैंने ही बनायी है












दीये जो मैंने पेंट किये....







इस बार पटाखों से मेरा डर कम हो गया था















ये मेरी छोटी सी बहना जो उस समय सिर्फ दो महीने की थी









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और ये रही 2011 यानि पिछले साल की दीवाली... इस बार मैं गांधीधाम में आ चुकी थी और दीवाली हमने यहीं मनाई थी... रंगोली यहाँ भी बनायीं मैंने...









अच्छी बन रही है न ?.... सच, मुझे तो बहुत ख़ुशी होती है रंगोली बनाकर....







और ये देखिये रंगोली बनकर तैयार है...





ज्यादा नहीं पर थोड़े से रोशनी वाले पटाखे भी चलाये हमने




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और अब बारी है इस बार की दीवाली की.... इस बार मेरी तबियत बहुत ठीक नहीं थी शायद पूरे महीने की अति व्यस्तता से मैं थक गयी थी... लेकिन फिर भी दीवाली हो और रंगोली न बनाऊं ये कसे हो सकता है... हाँ इस बार ज़रा कम मेहनत की थी... और इस बार हमारे कैम्पस में मेघा दीदी जो पुणे में रहती हैं, दीवाली पर वो भी आई हुईं हैं और हमारे साथ पूरे सेलिब्रेशन में साथ थीं इसलिए इस बार मुझे यहाँ ज्यादा मज़ा आया... रंगोली भी हमने साथ-साथ ही बनाई... दीदी बता रहीं थीं की इससे पहले उन्होंने कभी भी रंगोली नहीं बनाई थी... अब तक मैंने फ्लोरल या ज्योमेट्रिकल रंगोली ही बनाई थी पर इस बार ये डिफरेंट आइडिया भी दीदी का ही था... 








ये रहा मेघा दीदी और मेरा क्रियेश







कैसी लगी हमारी रंगोली















      
   फ्लोटिंग कैंडल्स
















ये दीवाली गिफ्ट मैंने और भाई ने अपने हाथों से मम्मी-पापा के लिए बनाया 












और फिर मंदिर को सजाकर लक्ष्मी-गणेश की पूजा भी की













बाद में हमने कुछ फुलझरियां, अनार और चरखियां भी चलाई









































और इस तरह समाप्त हुआ दीपों के पर्व दीपावली का उत्सव





4 comments:

  1. आपकी दीपावली हमने भी enjoy कियाः)
    आपको भी दीपपर्व की ढेरों शुभकामनाए!!

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  2. तुम तो बहुत अच्छी कलाकार हो। दीवाली की ढेर सारी बधाई रुनझुन !
    दीवाली की रंगोली बहुत ही प्यारी है।


    अंकल

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  3. तेज़ी बढ़ रहें हैं आपके कदम ललित कला की माहिरी की ओर .बधाई .

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आपको मेरी बातें कैसी लगीं...?


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